April 23, 2023

राजा मान सिंह : एक महान योद्धा King Man Singh I Amer : The Forgotten Hero

Raja Man Singh Amer ~ The Forgotten Hero

राजा मान सिंह आमेर: एक विस्मृत योद्धा

चाणक्य, नाम तो सुना ही होगा। आज जब कूटनीति, राजनीति, समाजनीति की बात होती तो चाणक्य का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन क्या किसी ने कभी किसी को ये कहते सुना है कि चाणक्य तो केवल चंद्रगुप्त मौर्य के दरबारी थे, उनके नौकर थे, उनके मुलाजिम थे? नहीं, उनकी खुद की एक पहचान है। उन्हें किसी अन्य के साथ जोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती जबकि सच यही है कि वो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबारी थे। तो ऐसा क्या है कि लोग उनको इतना सम्मान देते हैं? ये सब जानने के लिए आगे पढ़िए और समझिए। समझ आने पर बाकी लोगों तक भी इस बात को बात पहुंचाएं ताकि बजाय शर्मिंदा होने के पुरजोर तरीके से अपनी बात रख सकें। शेयर करने के विकल्प आपके आस पास दिख रहे होंगे (राइट साइड और पोस्ट के नीचे ऊपर)

 चलिए, अपनी बातों की शुरुवात कुछ उदाहरणों से करते हैं:

उदाहरण#१: बात उस समय की है जब अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया इत्यादि लोकपाल आंदोलन चला रहे थे। उन्होंने अपनी मांगे रखीं। तब सभी ने ये कहा कि यदि तुम्हें सच में अपनी मांगे मनवानी है तो सबसे बेहतर तरीका यही है कि चुनाव लड़ो और जीतो, सरकार बनाओ और जो मन करे वो कानून बना लो। इसके बाद उन्होंने ठीक वैसा ही किया भी और आज उनकी शुरू की हुई पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभरकर आ चुकी है, दिल्ली और पंजाब में मुख्यमंत्री हैं उनके। राजस्थान, गुजरात, गोवा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश इत्यादि में तेजी से पांव पसार रही है

उदाहरण#२: मान लीजिए आप जनता के लिए कुछ करना चाहते हैं और सरकार को वो पसंद नही तो क्या आप सरकार से विद्रोह करके वो काम कर पाएंगे? नहीं, क्योंकि सरकार के पास पूरा तंत्र है सिस्टम है, उस सिस्टम की ताकत के आगे आप चाहे जितने भी ताकतवर हों, कुछ नही कर सकते। जैसे आज राहुल गांधी को नाच नचाया जा रहा है वैसे ही किसी को भी नाच नचाया जा सकता है बशर्ते आपके पास सत्ता हो। लेकिन अगर राहुल गांधी के पास भी सत्ता होती तो क्या ये सब संभव होता? याद कीजिए ममता बनर्जी ने कैसे नाच नचाया था सीबीआई को

उदाहरण#३: गुजरात में एक समय वो भी था जब शाह को पुलिसवाले कैसे एक आम मुलजिम की तरह घसीटते हुए ले जा रहे थे। लेकिन आज वो सिस्टम का पार्ट हैं तो वही पुलिसवाले उनके सामने जाने से भी कतराते होंगे। ये है सिस्टम का हिस्सा होने की ताकत

उदाहरण#४: आरक्षित समाज से ताल्लुक रखने वाली मायावती हों या ओबीसी समाज से ताल्लुक रखने वाले मुलायम सिंह का परिवार, या ब्राह्मण समाज के अन्य कोई नेता हों, आपको क्या लगता है कि ये लोग बिना सत्ता में आए, अपने लोगों के लिए कोई व्यवस्था बना सकते थे?

उदाहरण#५: डॉक्टर अंबेडकर ने जो अपने समाज के लिए कर दिया, इसका १०% भी कोई क्षत्रिय समाज या किसी भी अन्य समाज के लिए कर दे तो लोग उसको पूजने लग जायेंगे। लेकिन उन्होंने जो किया, वो किया कैसे? क्या वो सिस्टम के बाहर रहते हुए ये सब कर पाते? कभी नहीं

ख़ैर, उपरोक्त सभी उदाहरणों में एक बात कॉमन है कि सिस्टम में सुधार लाना है तो सिस्टम का हिस्सा ही बनना पड़ेगा, केवल दिन रात गला फाड़ने या गाली देने से कोई बदलाव नहीं आने वाला। ये बात जितनी सच आज है, उतनी ही भविष्य में भी सच रहेगी और यही बात बीते समय में भी १००% सच थी। लोग हमेशा उसे सलाम करते हैं जो सिस्टम का हिस्सा बनकर सिस्टम में बदलाव लाता है

अपने आप से सवाल पूछिए कि क्या आप ऐसे व्यक्ति को सम्मान नही देंगे जो सिस्टम में रहकर आपके लिए उपयुक्त व्यवस्था बनाए? सिस्टम से बाहर रहकर भी लड़ाई लड़ी जा सकती है, उसके भी सैकड़ों उदाहरण हैं पर क्या आपको ये नही पता कि सत्ता चाहे तो किसी को भी ठिकाने लगा सकती है?

आप भलीभांति जानते हैं कि बेहतर और प्रभावी रणनीति यही है कि आप सिस्टम में रहकर सिस्टम में सुधार करें, सिस्टम के बाहर रहकर ज्यादा समय तक आपका अस्तित्व रहेगा नही चाहे आप कितने भी शक्तिशाली क्यों ना हों

संभवतः आप उपरोक्त सभी या लगभग सभी बातों से सहमत होंगे। यदि ऐसा है तो मुझे मात्र ऐसे तीन कारण गिना दीजिए जिनके कारण आपको अपने पूर्वज आमेर नरेश राजा मान सिंह कछवाह को एक बेहतरीन रणनीतिकार, जबरदस्त योद्धा, प्रभावशाली कूटनीतिज्ञ मानने में दिक्कत होती हो? अगर आप उपरोक्त बातें मानते हैं और राजा मान सिंह को दोषी मानते हैं तो माफ कीजिए, दोषी आप हैं। वो समय से आगे की सोच रखते थे और सिस्टम का हिस्सा बनकर सिस्टम को सुधारने की बात समझते थे।

यकीन मानिए, राजा मानसिंह जी जैसा व्यक्तित्व किसी अन्य समाज में होता तो अब तक उनके नाम पर हजारों स्कूल, कॉलेज, पार्क, गाली मोहल्ले, चौक चौराहे बन गए होते लेकिन जब हमारे लोग ही अपने पूर्वजों को ठीक से नहीं समझ पाए हैं तो बाकी लोगों से क्या ही शिकायत करें

 इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि महाराणा प्रताप के अस्तित्व पर संकट ना आने देने में कहीं ना कहीं राजा मान सिंह का भी योगदान था। जो राजा मानसिंह अफगानिस्तान तक जाकर दुश्मनों को मौत के घाट उतार आते थे, उनके लिए कोई कार्य कठिन नही था

आपको कभी सच्चाई का पता ना लगे इसलिए राजा मानसिंह और महाराणा प्रताप जी वाले मुद्दे में जबरदस्ती हिंदू मुस्लिम एंगल घुसेड़ा गया है। मैं आपको चैलेंज करता हूं कि आप ये साबित कर दें कि उस समय हिंदू मुस्लिम के मुद्दे पर युद्ध हुआ था। आप साबित नही कर पाएंगे क्योंकि ऐसा कभी था ही नहीं। अगर ऐसा होता तो अकबर के सेनापति मान सिंह और महाराणा के सेनापति हकीम खां सूर ना होते। खुद सोचिए कि हिंदू मुस्लिम वाला युद्ध बताया जाता है लेकिन ये नही बताया जाता कि मुस्लिम का सेनापति गैर मुस्लिम और गैर मुस्लिम का सेनापति मुस्लिम कैसे हो गया? आपको कभी ये नही बताया जाता कि जगन्नाथपुरी जैसे मंदिर उनके कारण ही बचे रहे,आपको ये भी नहीं बताया जाता कि बनारस, पटना हरिद्वार में घाटों का निर्माण और वृंदावन में श्री कृष्ण जी गोविंद देव का मंदिर भी उन्होंने बनवाया था। लोग नही बताएंगे क्योंकि फिर हिंदू मुस्लिम वाला फर्जी एजेंडा फेल हो जाएगा

तत्कालीन परिस्थितियों में किस रणनीति किस कूटनीति का प्रयोग किया गया, महाराणा और मान सिंह जी में वास्तव में कैसे संबंध थे, इस बात का पता कभी नहीं लगाया जा सकेगा क्योंकि हमारे लोगों ने कभी इतिहास को लेखन के माध्यम से संरक्षित करने का काम नही किया। हमारा इतिहास तो हमेशा से दूसरों द्वारा ही हमें पता लगता रहा है।

दूसरे लोग हमें किस नजर से देखते हैं उसका सबसे बड़ा उदाहरण तो सोशल मीडिया द्वारा प्रचलित शब्द मुगलपूत है

बच्चा बच्चा जानता है कि मुगलपुत किस संदर्भ में और किस नीयत से कहा जाता है। क्या कोई व्यक्ति जो आपका वास्तविक हितैषी होगा, वो आपके लिए या आपके किसी पूर्वज के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करेगा? कभी धार्मिक ग्रंथों द्वारा, कभी बाबाओं और कथावाचको द्वारा, कभी राजनीतिक नेताओं द्वारा हमारे पूर्वजों पर लांछन लगाए जाते रहते हैं, क्या उसके पीछे कोई नेक नीयत होती है? बिल्कुल नहीं। लोगों को हमसे हमारी कौम से आज से नही, सदियों से दिक्कत रही है। पर हम लोगों ने कभी प्रतिकार नही किया। पर अब ऐसा नहीं होगा, अब हम सवाल करेंगे, अब हम हिसाब बराबर करेंगे ,जो हम पर उंगली उठाएगा, उस का भी सारा लेखा जोखा निकाला जाएगा

वर्तमान में बैठकर भूतकाल की किसी भी घटना और किसी व्यक्ति के चरित्र का आंकलन करना बहुत कठिन कार्य है इसलिए आप अपने पूर्वजों के बारे में स्पष्ट जानकारी हासिल करें और उनके बारे में दुष्प्रचार करने का माध्यम ना बनें। जब आप उनका दुष्प्रचार नही करेंगे तो आने वाले समय में स्वतः ही फर्जी दुष्प्रचार दम तोड देंगे

समय देने एवम विचार आगे तक पहुंचाने के लिए आपका शुक्रिया 🙏

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